Friday, 20 December 2024
वर्ष2025 में किन राशियों का खुलेगा भाग्य....कहीं इसमें आपकी राशि तो नहीं !!
वर्ष2025 में किन राशियों का खुलेगा भाग्य....कहीं इसमें आपकी राशि तो नहीं !!
साल 2025 में एक साथ कई बड़े ग्रह गोचर करने जा रहे हैं। जिसका प्रभाव सभी राशियों, देश और दुनिया पर देखने को मिलेगा। साल 2025 में राहु केतु, शनि और गुरु सभी बड़े ग्रह का गोचर होगा।
साल 2025 में शनि का राशि परिवर्तन का आपके जीवन पर प्रभाव :-
साल 2025 की शुरुआत में शनि अपनी स्वराशि कुंभ से निकलकर 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेंगे।
कर्मफल दाता, न्यायाधीश और दण्डाधिकारी शनि का राशि परिवर्तन कुछ खास होगा। हालांकि वैदिक ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह माना जाता है, लेकिन यह कुछ राशियों के लोगों के लिए भाग्यशाली साबित हो सकता है। शनि की कृपा से कुछ लोगों की खुशियां चमक उठेंगी। दरअसल, शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं और फिर दूसरी राशि में चले जाते हैं ।
29 मार्च, 2025 को शनि बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश करेगा और 3 जून, 2027 तक वहीं रहेगा। राशि परिवर्तन से कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती समाप्त और कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी ।
मेष राशि
साल 2025 मेष राशि वाले जातकों के लिए काफी अच्छा रहने वाला है। शनि आपके बारहवें भाव में आएंगे। हालांकि, इसी समय आपकी साढ़ेसाती भी शुरू होगी, लेकिन आपको कई नए मौके मिलेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी। समाज में मान-सम्मान और इज्जत बढ़ेगी। अचानक फायदा होने के भी योग बन रहे हैं। कुल मिलाकर, मेहनत का पूरा फल मिलेगा। इस दौरान कुछ खास उपलब्धियां भी हाथ लग सकती हैं।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लिए शनि का गोचर बहुत शुभ रहेगा। शनि आपके लाभ भाव में आएंगे। इस दौरान आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। अचानक धन लाभ के मौके मिलेंगे। अधूरे काम पूरे होंगे। नौकरी करने वालों के लिए प्रमोशन के भी अच्छे चांस हैं। इस समय आपको धन और सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहेगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए भी यह गोचर फायदेमंद साबित होगा। शनि आपके दशम भाव में आएंगे, जो कि काम और करियर का भाव होता है। इस समय आपको नौकरी या व्यापार में तरक्की मिल सकती है। जो लोग बिजनेस कर रहे हैं, उन्हें कोई नई डील मिल सकती है। करियर में नई ऊंचाइयों को छूने का मौका मिलेगा। साथ ही, समाज में आपकी इज्जत भी बढ़ेगी।
तुला राशि
शनि देव के राशि परिवर्तन से तुला राशि वालों को भी लाभ होगा। मीन राशि में गोचर के दौरान शनि देव तुला राशि से छठे भाव में रहेंगे। यह तुला राशि वालों को शत्रुओं के भय से मुक्ति दिलाती है। आपको मनोवैज्ञानिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। कोर्ट-कचहरी में आपकी जीत होगी। शारीरिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
मकर राशि
शनि देव के राशि परिवर्तन से मकर राशि के जातकों को विशेष लाभ होगा। इस राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है। आत्मविश्वास बढ़ता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होंगी। आपका रुका हुआ धन आपको वापस मिल सकता है। आप कोई नया काम शुरू कर सकते हैं । आपके सारे बिगड़े काम बनेंगे। प्रियजनों का सहयोग मिलेगा। अपनी मां के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आपका निवेश आपको बड़ा लाभ देगा।
इन राशियों पर शुरू होगी शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या-
शनि के मीन राशि में प्रवेश करने से मेष राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी। शनि गोचर से कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण, मीन राशि पर दूसरा और मेष राशि में पहला चरण प्रारंभ होगा। इसके साथ ही शनि के गोचर से सिंह और धनु राशि वालों पर शनि ढैय्या प्रारंभ हो जाएगी।
इन राशियो को मिलेगी शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति-
शनि के मीन राशि में प्रवेश करते ही मकर राशि से शनि की साढ़ेसाती हट जाएगी। शनि के राशि परिवर्तन करने से कर्क व वृश्चिक राशि के जातकों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी।
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साल 2025 में राहु-केतु का राशि परिवर्तन का आपके जीवन पर प्रभाव:-
इसके बाद मई में राहु मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में पहुंचेंगे। 18 मई 2025 को राहु मीन राशि में और केतु सिंह राशि में गोचर करेंगे।
साल 2025 में राहु-केतु का गोचर कई राशियों के लिए शुभ रहेगा। खासकर मिथुन, मकर, और धनु राशि के जातकों को इस दौरान लाभ मिल सकता है। इन राशियों के लिए यह समय करियर, परिवार और धन के मामले में अच्छा रहेगा।
राहु-केतु हर 18 महीने में अपनी स्थिति बदलते हैं। साल 2025 में राहु और केतु की स्थिति की बात करें, राहु मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में जाएंगे जबकि केतु कन्या से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।महावीर पंचांग के अनुसार, राहु और केतु का यह राशि परिवर्तन 18 मई 2025 को शाम 4:30 बजे होगा। दोनों ग्रह 18 महीने तक अपनी-अपनी नई राशियों में रहेंगे। यह परिवर्तन कुछ राशियों के लिए शुभ साबित हो सकता है तो वहीं कुछ राशियों के लिए नया साल चुनौतियों से भरा रहेगा। आइए जानते हैं साल 2025 में राहु-केतु किन राशियों की किस्मत चमका सकते हैं।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए यह गोचर बहुत अच्छा साबित हो सकता है। राहु आपके नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में रहेंगे। ऐसे में नए साल में आपका भाग्य आपके साथ रहेगा। लंबे समय से अटके हुए काम पूरे होंगे। करियर में भी अच्छा सुधार देखने को मिल सकता है। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को अच्छे ऑफर मिल सकते हैं। इस दौरान आपका मन धार्मिक कार्यों में लगेगा। आप कहीं तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं। परिवार के साथ भी समय अच्छा बीतेगा। इसके साथ ही घर या वाहन खरीदने का भी सपना पूरा हो सकता है।
मकर राशि
मकर राशि के लोगों के लिए भी राहु और केतु का यह गोचर लाभकारी हो सकता है। राहु आपके तीसरे भाव में और केतु अष्टम भाव में रहेंगे। नया साल मकर राशि वाले जातकों के लिए खुशियां लेकर आ रहा है। इस परिवर्तन से आपको अप्रत्याशित धन लाभ हो सकता है। आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। इस समय आप अध्यात्म की ओर भी आकर्षित हो सकते हैं, जिससे आपकी मानसिक शांति बढ़ेगी। नौकरीपेशा हैं तो आपका प्रमोशन हो सकता है। सेहत बेहतर रहेगा।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए भी यह गोचर बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। राहु तीसरे भाव में और केतु नवम भाव में रहेंगे। इसके कारण आपको भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा। इस दौरान आप किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। धार्मिक कार्यों में मन लगेगा। आप कहीं लंबी यात्रा पर भी जा सकते हैं। दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। बेवजह के खर्चों से बचें। काम का दबाव बढ़ सकता है, लेकिन आप उसे अच्छे से संभालने में सक्षम होंगे।
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साल 2025 में देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन का आपके जीवन पर प्रभाव:-
इसी के साथ गुरु साल 2025 में वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। गुरु का गोचर 14 मई 2025 को मिथुन राशि में होगा।
वर्ष 2025 में गुरु का तीन बार राशि परिवर्तन करेंगे यह एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है।
बृहस्पति सभी देवताओं और ग्रहों का गुरु है और नौ ग्रहों में सबसे भाग्यशाली भी है। ये शिक्षा, धर्म, ज्ञान, धन, विवाह और संतान सुख के कारक ग्रह हैं। जब बृहस्पति अपनी राशि बदलता है तो इसका सभी राशियों पर गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
2025 में बृहस्पति का पहला राशि परिवर्तन बुधवार, 14 मई, 2025 की रात 11:20 बजे होगा, जब बृहस्पति वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
शनिवार , 18 अक्तूबर, 2025 को बृहस्पति रात्रि 9:39 बजे कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि परिवर्तन के दौरान, बृहस्पति वक्री होंगे।
2025 में बृहस्पति का तीसरा राशि परिवर्तन शुक्रवार, 5 दिसंबर, दोपहर 3:38 बजे होगा और मिथुन राशि में इनकी पुनः वापसी होगी।
गुरु के राशि परिवर्तन का राशियों पर प्रभाव:-
मेष राशि
2025 में बृहस्पति के तीन बार राशि परिवर्तन से मेष राशि वालों की बौद्धिक क्षमता में सुधार होगा। आप नई चीज़ों को लेकर अधिक आश्वस्त और उत्साहित रहेंगे। इस अवधि में आर्थिक लाभ संभव है। आपको अपने प्रयासों का फल मिलेगा। आपको करियर में उन्नति मिल सकती है। काम से अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर है। साथ काम करने वाले लोगों से संबंध मधुर होंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। नए व्यावसायिक संपर्क स्थापित होने से व्यापार का विस्तार होता है।किसी धार्मिक यात्रा पर जाने का अवसर मिल सकता है। इससे आपका मन शांत होगा। छात्र अपनी पढ़ाई में सफल होंगे और अपने करियर में आगे बढ़ेंगे। छात्रवृत्ति आपकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगी। पारिवारिक जीवन अधिक सुखद होगा। आपके प्रेम संबंध भी मजबूत होंगे। आपके स्वास्थ्य में सुधार होगा।
धनु राशि
2025 में बृहस्पति के तीन बार राशि परिवर्तन से धनु राशि वाले लोगों पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आपकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता बढ़ेगी और आप अधिक सहानुभूतिशील बनेंगे। व्यापार में वृद्धि होगी। सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी। आपको करियर में उन्नति मिल सकती है। करियर में उन्नति के मौके भी मिल सकते हैं. सहकर्मियों के साथ संबंध मैत्रीपूर्ण बने रहेंगे। प्रतिस्पर्धात्मक सफलता से अचानक धन लाभ हो सकता है। आप अपनी रचनात्मकता का उपयोग एक नया व्यवसाय शुरू करने और ढेर सारा पैसा कमाने में कर सकते हैं। वे अपने परिवार के साथ समय बिताने का आनंद उठाएंगे। पारिवारिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। आपके प्रेम जीवन में उत्साह और जोश रहेगा। आपके स्वास्थ्य में सुधार होगा और आपकी ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा।
मीन राशि
2025 में बृहस्पति के तीन बार राशि परिवर्तन से कैरियर में उन्नति के योग बनेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आपको किसी धार्मिक कार्य में भाग लेने का अवसर मिलेगा। आपको फैशन या मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता मिलने से धन लाभ होगा। लाइफ पार्टनर के साथ संबंध मधुर होंगे। रोमांटिक जीवन में रोमांच और उत्साह रहेगा। नए रिश्ते बन सकते हैं और मौजूदा रिश्तों में मजबूती आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और मानसिक तनाव कम होगा। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप अधिक मेहनती और दृढ़निश्चयी बनेंगे। यात्रा पर जाने का अवसर मिलेगा। आर्थिक लाभ की संभावना है। आय के नए स्रोत खुल सकते हैं, निवेश लाभदायक रहेगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। परिवार के साथ समय बिताकर मन प्रसन्न रहेगा।
आचार्य राजेश कुमार
(www.divyanshjyotish.com)
Thursday, 12 December 2024
राहु को पूर्ण शांत करने का नायाब और अचूक मंत्र
राहु का वैदिक मंत्र – ॐ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा कयाशश्चिष्ठया वृता
तांत्रिक मंत्र- 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
राहु को खुश करने का मंत्र-
ऊँ नमो अर्हते भगवते श्रीमते नेमि तीर्थंकराय सर्वाण्हयक्ष कुष्मांडीयक्षी सहिताय ॐ आं क्रौं ह्रीं ह्र: राहुमहाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष्ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट्।।
बेरोजगारी की समस्या का निदान
बेरोज़गारी का मूल कारण :-
यदि पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी ढूंढते समय में शुभग्रह की दशा चल रही हो तो अच्छी जॉब व पदप्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। यदि जवानी के दौरान अशुभग्रह की दशा चल रही हो तो उच्चशिक्षित व बहुकुशल होने के उपरांत भी अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं होती। नौ ग्रहों में किस ग्रह की महादशा या अंतर्दशा में अच्छी नौकरी मिल सकती है ज्योतिषशास्त्र अनुसार इसका विस्तृत विवरण यहां प्रस्तुत है।
- लग्नेश,पंचमेश की दशा ,षष्ठेश की दशा,धनेश-लभेश की दशा, दशमेश की दशा,भाग्येश की दशा
- राहु-केतु की दशा में तृतीय या चतुर्थ श्रेणी परंतु एक्सट्रा कमाई वाली जॉब मिलती है। राहु-केतु टेढ़े माध्यम से धन देते हैं।
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अच्छी नौकरी मिलने हेतु ग्रहों का गोचर भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। उपरोक्त दशाओं का ग्रह यदि कमज़ोर होकर आपके जीवन मे बैठा है तो किसी योग्य एक्सपर्ट से समय रहते जरूर मिलें अन्यथा जीवन भर पछताना पड सकता है।
आचार्य राजेश कुमार
( https//:www.divyanshjyotish.com) संपर्क -8318953026/7607718546
Thursday, 22 August 2024
हरियाली,कजरी और हरतालिका तीज कब-कब ,क्यों और पूजा विधि:-
साल में इस प्रकार के तीन पर्व आते हैं, जो क्रमशः हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज के नाम से जाने जाते हैं। हर एक पर्व का अपना-अपना महत्व है।
उक्त तीनो पर्व माँ गौरा पार्वती और देवाधिदेव भगवान शिव के मिलन की ही कथा है । भारतीय महिलाएं अपने अपने पारिवारिक और सामाजिक प्रचलन के अनुसार इन मे से किसी एक तिथि पर उक्त पर्व पर अपने वर के दीर्घायु व सुखमय जीवन एवं कुंवारी कन्याएं अपनी इक्षानुसार वर प्राप्ति के लिए करती हैं ।
1 - हरियाली तीज:-
पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 7 अगस्त को हरियाली तीज पड़ी थी । हरियाली तीज को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है।
हरियाली तीज 2024 पूजा शुभ मुहूर्त:-
सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 6 अगस्त 2024 को शाम 7 बजकर 52 मिनट से
सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजकर 5 मिनट पर
हरियाली तीज 2024 तिथि- 7 अगस्त 2024, बुधवार
2-कजरी तीज : -
कजरी तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद मनाई जाती है.
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है. कजरी का अर्थ काले रंग से है. इस दौरान आसमान में काली घटा छाई रहती है. इसलिए शास्त्रों में इस शुभ तिथि को कजरी तीज का नाम दिया गया है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के भवानी स्वरूप की पूजा का विधान है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए व्रत करती हैं और पति लंबी उम्र की कामना करती हैं । इन तीनो व्रत में पूजा कथा की विधियां लगभग समान ही हैं ।
कजरी तीज 2024 पूजा शुभ मुहूर्त:-
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ हुई है. इसका समापन 22 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 पर होगा. उदिया तिथि के चलते कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त दिन गुरुवार को ही रखा जाएगा.
3-हरतालिका तीज :-
यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होगा। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज 2024 पूजा शुभ मुहूर्त:-
काशी पंचांग के मुताबिक इस तिथि की शुरुआत 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12:21 पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 6 सितंबर 2024 को शाम 03:01 पर होगा। अतः उदय तिथि के अनुसार इस साल यह व्रत 06 सितंबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा ।
उपरोक्त तीनों तिथियों की पौराणिक कथा-
लिंग पुराण की एक कथा के अनुसार मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर खातीं और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुखी थे।
इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वह बहुत दुखी हो गई और जोर-जोर से विलाप करने लगी। फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उन्हें बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गई और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई।
भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वह अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करती हैं। साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बरकरार रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है। उत्तर भारत के कई राज्यों में इस दिन मेहंदी लगाने और झुला-झूलने की प्रथा है।
विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है, क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन प्रातः 3.30 पर पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है।
इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। तमिलनाडु में इस व्रत को "गौरी हब्बा" के नाम से जाना जाता है। वहां महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए स्वर्ण गौरी व्रत करती हैं।
सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए ये व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं।
पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
इस व्रत के व्रती को शयन का निषेध है इसके लिए उसे रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना पड़ता है प्रातः काल स्नान करने के पश्चात् श्रद्धा एवम भक्ति पूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री ,वस्त्र ,खाद्य सामग्री ,फल ,मिष्ठान्न एवम यथा शक्ति आभूषण का दान करना चाहिए।
आचार्य राजेश कुमार (divyansh jyotish)